.

.

Breaking News

News Update:

How To Create a Website

Wednesday 15 November 2017

एससी/एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण का मामला संविधान पीठ को

** मध्य प्रदेश, बिहार, त्रिपुरा और पीजीआइ चंडीगढ़ के मामले में दो न्यायाधीशों की पीठ ने दिया आदेश
नई दिल्ली: एससी-एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट की दो न्यायाधीशों की पीठ ने विचार के लिए संविधान पीठ को भेज दिया है। जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस आर. भानुमति की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 145 (3) के तहत मामले को संविधान पीठ को सुनवाई के लिए भेजा है। कोर्ट ने आदेश दिया कि संविधान पीठ के गठन के लिए मामले को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पेश किया जाए। याचिकाकर्ता अंतरिम राहत की मांग भी संविधान पीठ से ही करेंगे। 
पांच पांच न्यायाधीशों की दो पीठों के दो मामलों ईवी चेन्नैया और एम नागराज के फैसलों में अंतर होने के कारण इस मामले को संविधान के अनुच्छेद 16(4)(ए) और 16 (4)(बी) तथा 335 की व्याख्या के लिए संविधानपीठ को भेजा गया है। मामला अनुच्छेद 145(3) के तहत भेजा गया है जो संवैधानिक प्रावधान की व्याख्या से जुड़े मामले पर संविधानपीठ के सुनवाई करने की बात कहता है। ये मामला बहुत महत्वपूर्ण है और इससे एससी एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण के मामले में पिछले 11 वर्षो से चली आ रही व्यवस्था बदल सकती है। चूंकि पांच-पांच न्यायाधीशों की दो पीठों के अलग-अलग फैसले हैं। ऐसे में यह मामला सात न्यायाधीशों की पीठ को जा सकता है। पांच न्यायाधीशों ने ईवी चेन्नैया मामले में 2005 में आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा एससी एसटी वर्ग में किये गए वर्गीकरण को असंवैधानिक ठहरा दिया था। कोर्ट ने कहा था कि एससी एसटी के मामले में राष्ट्रपति के आदेश से जारी सूची में कोई छेड़छाड़ नहीं हो सकती उसमें सिर्फ संसद ही कानून बना कर बदलाव कर सकती है। इसके बाद 2006 में पांच न्यायाधीशों ने एम नागराज के मामले में एससी एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण के कानून पर विचार किया। इस फैसले में कोर्ट ने कानून को तो सही ठहराया था, लेकिन कहा था कि प्रोन्नति में आरक्षण देने से पहले सरकार को पिछड़ेपन और पर्याप्त प्रतिनिधित्व न होने के आंकड़े जुटाने होंगे। 2006 से यही फैसला कानून के तौर पर लागू था और इसी के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2012 में यूपी पावर कारपोरेशन के केस में उत्तर प्रदेश का प्रोन्नति में आरक्षण का कानून रद कर दिया था। इसी के आधार पर मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, बिहार और चंडीगड़ प्रशासन के मामले में उच्च न्यायालयों ने एससी एसटी को दिया गया प्रोन्नति में आरक्षण रद कर दिया था। ये सारे मामले सुप्रीम कोर्ट में आये थे जिन्हें आज संविधानपीठ को भेजा गया है।
आरक्षण रद होने के खिलाफ कोर्ट पहुंची मध्य प्रदेश सरकार के वकील वी शेखर व मनोज गोरकेला, और एससी एसटी कर्मचारी संघ के वकील डॉक्टर केएस चौहान व इंद्रा जयसिंह ने नागराज के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की। उनका कहना था कि इस मामले में क्रीमीलेयर का फामरूला लागू नहीं होगा इसलिए पिछड़ेपन के आंकड़े नहीं मांगे जा सकते। इन लोगों ने ईवी चेन्नया और इंद्रा साहनी के फैसले का हवाला दिया जबकि दूसरी तरफ से राजीव धवन और परिमल कुमार ने मांग का विरोध किया और कहा कि एम नागराज में दी गई व्यवस्था बिल्कुल ठीक है।

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.