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Saturday 2 September 2017

शिक्षा में आईसीटी का प्रभाव जानने कोे एससीईआरटी कराएगी सर्वे

** 21 जिलों से सैंपल के रूप में 20 स्कूल को किया गया है शामिल
** टीचर्स, छात्रों और स्कूल स्तर पर जानकारी ली जाएगी, 1 से 15 सितंबर तक कराया जाएगा सर्वे
** 3314 टीचर्स को रमसा के तहत आईसीटी का प्रशिक्षण दिया जा चुका है
गुड़गांव : 
राज्यशैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) प्रदेश के सरकारी स्कूलों में इंफॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (आईसीटी) का शिक्षण-प्रशिक्षण पर प्रभाव जानने के लिए 1-15 सितंबर तक सर्वे कराएगी। इस दौरान टीचर्स, छात्रों और स्कूल स्तर पर जानकारी ली जाएगी। प्रदेश के 21 जिले में सैंपल के रूप में 20-20 स्कूलों को शामिल किया गया है। एससीईआरटी की निदेशक डॉ. किरणमयी ने बताया कि सरकारी स्कूलों में आईसीटी शिक्षा देने के लिए कंप्यूटर लैब बनाए गए हैं। इसके अलावा एजुसेट और डीटीएच की भी सुविधा उपलब्ध कराई गई है। ऐसे में इन माध्यम से छात्रों को आईसीटी का कितना लाभ मिल रहा है, इसकी जानकारी के लिए सर्वे कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एससीईआरटी दो साल में करीब तीन हजार टीचर्स को आईसीटी का प्रशिक्षण दे चुकी है। ऐसे में अब एससीईआरटी ict@school पर सर्वे कराने जा रही है। एससीईआरटी में एजुकेशन टेक्नोलॉजी विंग के विषय विशेषज्ञ मनोज कौशिक ने बताया कि एमएचआरडी और राज्य सरकार की ओर से स्कूलों में आईसीटी लैब बनाए गए हैं। इससे छात्रों को आईटी और कंप्यूटर शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में करीब 30 हजार ऐसे स्कूल हैं, जहां पर ict@school योजना चल रही है। ऐसे में एससीईआरटी यह जानने का प्रयास कर रही है कि आईसीटी का शिक्षण कार्य पर कितना प्रभाव पड़ा। उन्होंने बताया कि आईसीटी स्कूल सर्वे के तहत टीम जानने का प्रयास करेगी कि स्कूल का माहौल कितना आईसीटी के लिए उपयुक्त है। मनोज ने बताया कि दो साल में 3314 टीचर्स को रमसा के तहत आईसीटी का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। ऐसे में सर्वे के दौरान आईसीटी संबंधित जानकारी भी टीचर्स से ली जाएगी। इससे स्कूलों में आईसीटी का प्रभाव और चुनौतियों के बारे में जानकारी मिल सके। इसी आधार पर भविष्य में इसमें सुधार किया जा सकेगा।
एजुकेशन टेक्नोलॉजी विंग तकनीक पर दे रहा है जोर
विंगप्रभारी पूनम भारद्वाज ने बताया कि एजुकेशन टेक्नोलॉजी विंग शिक्षा में तकनीक के प्रयोग पर लगातार बल दे रही है। इसके लिए नवाचार का प्रयोग किया जा रहा है। इसे देखते हुए डायट की ईटी विंग को भी मजबूत किया जा रहा है। मूल्यांकन विंग प्रभारी सुरेंद्र सिंह सिंधू ने बताया कि टीचर ट्रेनिंग को भी आईसीटी से जोड़ा जा रहा है। इसे ध्यान में रखकर रिजल्ट आधारित ट्रेनिंग लागू की जा रही है। उन्होंने बताया कि टीचर्स को क्लास रूप में आईसीटी आधारित देने का जोर है, ताकि शिक्षण कार्य प्रभावी बनाया जा सके।
आईसीटी सर्वे के लिए 21 जिलों में एक-एक टीम बनाई गई है। इसमें डीएल के प्रशिक्षु छात्र, डायट टीचर समेत अन्य को शामिल किया गया है। हर जिले में सैंपल के लिए 20 स्कूलों को लिया गया है। इसमें ग्रामीण, शहरी, लड़के, लड़कियों और को शिक्षा वाले स्कूलों को चुना गया है। गौरतलब है कि सीनियर सेकंडरी स्कूलों में कंप्यूटर लैब बनाया गया है। यहां पर छात्रों को आईटी की शिक्षा दी जाती है।

इन बातों की जानकारी ली जाएगी : 
एजुसेट के जरिए कंप्यूटर शिक्षा, आईसीटी से कक्षा में प्रभावी शिक्षण कार्य, तकनीक से स्कूलों को क्या परेशानी रही है और प्रबंधन स्तर पर इसे किस प्रकार से बेहतर किया जा सकता है। इसके लिए सर्वे टीम सीनियर सेकंडरी स्कूल के स्कूल टीचर, प्रिसिंपल और छात्रों से जानकारी लेगी। 

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