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Tuesday 12 September 2017

तीन साल से स्कूल में एक विद्यार्थी नहीं हेडमास्टर समेत पहुंच गया पूरा स्टाफ

** ट्रांसफर पॉलिसी की चौतरफा हुई थी तारीफ, अब सब हो गए चुप
** रेवाड़ी के सरकारी मिडिल स्कूल ने खोली ऑनलाइन ट्रांसफार पॉलिसी की पोल
रेवाड़ी : एक सरकारी मिडिल स्कूल ने शिक्षा विभाग में शिक्षकों की ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी रेशनेलाइजेशन सिस्टम की हकीकत सामने ला दी है। जिस स्कूल में कक्षा छठीं से 8वीं तक पिछले तीन सालों में एक भी विद्यार्थी नहीं है, वहां अब हेडमास्टर समेत चार शिक्षक तबादला होकर पहुंच चुके हैं। दिलचस्प बात यह है कि इसमें हिंदी विषय के दो शिक्षक हैं। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि इस ऑनलाइन सिस्टम के तहत किस आधार पर शिक्षक बिना छात्र वाले स्कूल में पहुंच रहे हैं। किसी भी अधिकारी के पास कोई जवाब नहीं है कि गड़बड़ कहां से हो रही है। 
गांव बांबड का मिडिल स्कूल अक्टूबर 2010 में अपग्रेड हुआ था। इस स्कूल में आस पास सटे गांव मुरादपुरी, फतेहपुरी, कानावास मौलावास के विद्यार्थी पढ़ने के लिए आते थे। शिक्षक होने से विद्यार्थियों की संख्या कम होती चली गईं। 2014 में 15 विद्यार्थी रह गए। इसके बाद पिछले तीन सालों में शिक्षक नहीं होने की वजह से एक भी दाखिला नहीं हुआ। इस साल 5 अगस्त को ऑन लाइन ट्रांसफर पॉलिसी के तहत हेडमास्टर ओमप्रकाश का स्थानांतरण हो गया। बिना विद्यार्थी के वे सरकारी डाक निपटाकर डयूटी पूरी करने लगे। इसके बाद शिक्षकों के हुए तबादले में दो हिंदी शिक्षक सीमा यादव सतबीर एसएस के शिक्षक मदनपाल का तबादला भी इसी स्कूल में हो गया। यानि जिस स्टाफ के लिए विद्यार्थी 7 सालों से तरस रहे थे वे उस समय आए जब बिना विद्यार्थी के हो गया था। वर्तमान में इन गांवों के विद्यार्थी 2 किमी दूर गांव श्योराज माजरा के सरकारी स्कूल में पढ़ने के लिए जा रहे हैं। 
विद्यार्थियों की संख्या के आधार पर शिक्षकों के पद सृजित किए जाते हैं। उसी आधार पर शिक्षकों को इधर उधर किया जाता हैं। तबादलों में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए पिछले साल सुगम संपर्क पोर्टल बनाया गया। इसके तहत शिक्षक एक पॉलिसी के तहत अपने मनपंसद स्टेशन पर बिना किसी सिफारिश के तबादला करा सकते हैं। यहां तक की केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने भी इस पोर्टल की सीडी मंगवाई थी। इस स्कूल का मामला सामने आते ही अब अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं है। शिक्षा अधिकारी धर्मबीर सिंह बल्डोदिया ने कहा कि बिना बच्चों के स्कूल में शिक्षकों का स्टाफ कैसे पहुंच गया। यह हमारी समझ से बाहर है। 
शिक्षा सत्र के बीच तबादला गलत : 
शिक्षकों का कहना है कि अगस्त-सितंबर में शिक्षकों का तबादला करना गलत है। यह सीधे तौर पर विद्यार्थियों के भविष्य से सीधा खिलवाड़ है। कायदे से शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले इस काम को पूरा कराना चाहिए।
शिक्षकों का दावा: 
कई स्कूलों का हो सकता है खुलासा : हरियाणास्कूल लेक्चरर एसोसिएशन के पूर्व प्रांतीय अध्यक्ष अनिल यादव का कहना है कि विद्यार्थी शिक्षकों की संख्या को आधार पर बनाकर रिपोर्ट बनाए तो ऐसे अनेक स्कूल सामने जाएंगे। कुछ जगह तो विद्यार्थियों की संख्या सही नहीं बताई जाती है ताकि शिक्षक का तबादला नहीं हो जाए।

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