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Tuesday 16 May 2017

सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को ट्रांसफर के चक्र से मुक्ति

** ग्रामीण और शहरी इलाकों में 10-10 साल का कार्यकाल 
** ग्रामीण स्कूलों में शिक्षकों की कमी भी नई व्यवस्था में होगी दूर
नई दिल्ली : सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को ट्रांसफर के चक्र से मुक्ति मिलने वाली है। उन्हें ग्रामीण, अर्ध शहरी और शहरी इलाकों में दस-दस वर्ष का स्थायी कार्यकाल मिलेगा। इससे गांवों के स्कूलों में शिक्षकों की उपलब्धता तो बढ़ेगी ही, शिक्षक का संबंधित स्कूल और उसके छात्रों के साथ जुड़ाव भी बढ़ेगा। लिहाजा, शिक्षक उस स्कूल के लिए बेहतर नतीजे लाने पर भी जोर देगा।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने  विशेष बातचीत में यह एलान किया। शिक्षकों की कमी के बारे में उन्होंने कहा, ‘सरकारी शिक्षकों की कमी नहीं है लेकिन, उनकी तैनाती तार्किक रूप से नहीं हो रही। उप्र की राजधानी लखनऊ के सरकारी स्कूलों में शिक्षक ज्यादा हैं, छात्र कम। जिला मुख्यालयों में भी स्थिति कुछ ऐसी ही है। गांवों में एक शिक्षक से स्कूल चल रहे हैं। इस वर्ष हम इस स्थिति को खत्म कर रहे हैं। ग्रामीण, अर्ध शहरी और शहरी इलाकों में शिक्षक को 10-10 साल की पोस्टिंग मिलेगी।
मंत्रलय के अधिकारी बताते हैं कि इस फामरूले पर काम शुरू कर दिया गया है। इस तैनाती के दौरान शिक्षक अपनी जरूरत के आधार पर ट्रांसफर के लिए आवेदन के कर सकेंगे। आवेदन की जगह पर रिक्तता होने पर उनके अनुरोध पर विचार भी किया जाएगा। लेकिन, पहले से मौजूद शिक्षक को इसके लिए हटाया नहीं जाएगा। इसी तरह, अपनी तैनाती वाले स्कूल में शिक्षक के प्रदर्शन को भी इसमें आधार बनाया जाएगा। यह पहला मौका है जब केंद्र ने शिक्षकों की तैनाती की ऐसी नीति का प्रस्ताव किया है। पिछले हफ्ते मंत्रलय में स्कूली शिक्षा और साक्षरता सचिव अनिल स्वरूप ने एक ट्वीट कर लोगों की यह राय मांगी थी कि ‘क्या सरकारी स्कूलों में भी शिक्षकों की नियुक्ति खास स्कूल के लिए होनी चाहिए? क्या उनका ट्रांसफर सिर्फ प्रमोशन के साथ ही होना चाहिए?’ इसके जवाब में 79 फीसद लोग इस प्रस्ताव से सहमति जता चुके हैं। मंत्रलय ने बताया था कि सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की 18 फीसद व माध्यमिक विद्यालयों में 15 फीसद कमी है। उप्र, झारखंड और बिहार में स्थिति सबसे खराब है। कुछ राज्यों ने शिक्षकों के ट्रांसफर की ऑनलाइन और प्वाइंट आधारित व्यवस्था शुरू की है। हरियाणा में इसे लागू किया जा चुका है, अब उप्र और पंजाब में प्रक्रिया चल रही है। 

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