.

.

Breaking News

News Update:

How To Create a Website

Wednesday 5 October 2016

सरकारी स्कूलों में 105 स्टूडेंट्स पर है एक टीचर

** आरटीई पर सवाल : एक्ट के तहत 45 छात्रों पर एक टीचर की होती है नियुक्ति, 40 % सीटें भरने पर भी डेढ़ हजार टीचर्स की जरूरत
गुड़गांव : जिले के सरकारी स्कूलों में छात्रों को गुणवत्तापरक शिक्षा देने के शिक्षा विभाग दावों को टीचर्स की कमी खोखला साबित कर देती है। जिले के स्कूलों में क्लास के 105 छात्रों को पढ़ाने के लिए महज एक टीचर है, जबकि राइट टू एजुकेशन (आरटीई) एक्ट के तहत 45 छात्रों को पढ़ाने के लिए एक टीचर होना चाहिए। जिले में टीचर्स की खाली पड़ी करीब 40 फीसदी सीटों को यदि भर भी दिया जाए तो भी स्कूलों में करीब डेढ़ हजार टीचरों की कमी है। 
जिले के गवर्नमेंट स्कूलों में सबसे अधिक टीचर्स की कमी प्राइमरी मिडिल स्कूल में है। जिले में 363 प्राइमरी तथा 91 मिडिल स्कूल हैं। प्रत्येक स्कूल में औसतन 300 छात्र शिक्षा पा रहे हैं। इस तरह प्राइमरी और मिडिल स्कूलों शिक्षा पाने वाले स्टूडेंट्स की संख्या कुल 1 लाख 36 हजार 200 हो जाती है। राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत इन छात्रों को शिक्षा देने के लिए जिले के उक्त स्कूलों में 3027 टीचर्स की जरूरत है। शिक्षा विभाग के एक अधिकारी की मानें तो शहर में प्राइमरी स्कूलों में 961 तथा मिडिल में 849 पोस्ट सेंशन हैं। इसमें भी करीब 40 फीसदी सीटें रिक्त पड़ी हैं। इन्हें भी यदि भर दिया जाए तो भी डेढ़ हजार से अधिक टीचर्स की यहां आवश्यकता है। 
टीचर्स के ट्रांसफर के कारण बिगड़े हालात 
हाल में शिक्षा विभाग ने प्रदेश में टीचर्स के ऑनलाइन ट्रांसफर किए। इसके बाद स्थिति और खराब हो गई है। कई स्कूल ऐसे हैं जिनमें आवश्यकता से अधिक टीचर पहुंच गए हैं तो कई स्कूल ऐसे हैं जिनमें टीचर्स के नाम पर स्कूल हेड ही शेष रह गए हैं। ऐसे में एग्जाम के दौरान भी परेशानी हुई थी। यह एग्जाम भी मात्र खानापूर्ति साबित हुए। स्थिति संभालने के लिए विभाग टीचर्स को एडजस्ट कर रहा है। बावजूद इसके स्कूलों में छात्रों को दिक्कत हो रही है। 
कमजोर हुआ छात्रों का लर्निंग लेवल : 
अगस्त में एससीईआरटी द्वारा प्रदेश के सभी स्कूलों में एसेसमेंट टेस्ट लिया गया था। इस दौरान पाया गया कि जैसे-जैसे छात्रों की क्लास बढ़ रही है वैसे-वैसे उनका लर्निंग लेवल कमजोर होता जा रहा है। इसका सबसे अधिक असर क्लास तीन से आठ तक देखने को मिला है। 
नहीं मिल पा रही गुणवत्तापरक शिक्षा : 
शिक्षा विभाग द्वारा सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापरक शिक्षा देने के दावे तो किए जाते हैं, लेकिन स्कूलों में इन दिनों क्वांटिटी एजुकेशन दी जा रही है। प्रत्येक टीचर को 100 से अधिक छात्र पढ़ाने पड़ रहे हैं। ऐसे में शिक्षा का स्तर लगातार गिर रहा है। 
"टीचर्स का केस कोर्ट से फाइनल होते ही अपॉइंटमेंट होंगे। प्रदेश के विभिन्न जिलों से यहां टीचर्स को समायोजित किया जाना है, जिसके बाद यहां टीचर्स की कमी नहीं रहेगी।"-- राम कुमार फलस्वाल, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, गुड़गांव                                                  db

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.